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न तमंहो॒ न दु॑रि॒तं कुत॑श्च॒न नारा॑तयस्तितिरु॒र्न द्व॑या॒विनः॑। विश्वा॒ इद॑स्माद्ध्व॒रसो॒ वि बा॑धसे॒ यं सु॑गो॒पा रक्ष॑सि ब्रह्मणस्पते॥

English Transliteration

na tam aṁho na duritaṁ kutaś cana nārātayas titirur na dvayāvinaḥ | viśvā id asmād dhvaraso vi bādhase yaṁ sugopā rakṣasi brahmaṇas pate ||

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Pad Path

न। तम्। अंहः॑। न। दुः॒ऽइ॒तम्। कुतः॑। च॒न। न। अरा॑तयः। ति॒ति॒रुः॒। न। द्व॒या॒विनः॑। विश्वाः॑। इत्। अ॒स्मा॒त्। ध्व॒रसः॑। वि। बा॒ध॒से॒। यम्। सु॒ऽगो॒पाः। रक्ष॑सि। ब्र॒ह्म॒णः॒। प॒ते॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:23» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:29» Mantra:5 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (ब्रह्मणस्पते) बड़ों के पालना करनेवाले वा चक्रवर्त्ती सर्व भूमिपति राजन् जो (सुगोपाः) सुन्दर रक्षा करनेवाले आप (यम्) जिसकी (रक्षसि) रक्षा करते (अस्मात्) इससे (विश्वाः) सब (ध्वरसः) हिंसाओं को (वि,बाधसे) निवृत्त करते हो (इत्) उसी को (कुतश्चन) कहीं से भी (अंहः) अपराध (न) न (द्वयाविनः) दोनों पक्षों में आश्रित जन (तितिरुः) तरें ॥५॥
Connotation: - जो परमेश्वर की आज्ञा वा आप्त विद्वानों के संग का वा अपनी आत्मा की पवित्रता का आचरण करते हैं, वे सब पाप आचरण से अलग हो और धार्मिक होकर निरन्तर सुख को व्याप्त होते हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे ब्रह्मणस्पते सार्वभौम राजन् वा सुगोपास्त्वं यं रक्षस्यस्माद्विश्वाध्वरसो विबाधसे तमित्कुतश्चनांऽहो न दुरितं नारातयो न द्वयाविनस्तितिरुः ॥५॥

Word-Meaning: - (न) (तम्) (अंहः) अपराधः (न) (दुरितम्) दुष्टाचरणम् (कुतः) कस्मात् (चन) अपि (न) (अरातयः) शत्रवः (तितिरुः) तरेयुः (न) (द्वयाविनः) उभयपक्षाश्रिताः (विश्वाः) सर्वाः (इत्) एव (अस्मात्) (ध्वरसः) हिंसाः (वि) (बाधसे) निवारयसि (यम्) (सुगोपाः) सुष्ठुरक्षकः (रक्षसि) (ब्रह्मणः) बृहतः (पते) पालक ॥५॥
Connotation: - ये परमेश्वराऽऽज्ञामाप्तविदुषां सङ्गं स्वात्मपवित्रतामाचरन्ति ते सर्वस्मात्पापाचरणाद्वियुज्य धार्मिका भूत्वा सततं सुखमश्नुवते ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे परमेश्वराची आज्ञा व आप्त विद्वानांच्या संगतीने आपल्या आत्म्याला पवित्र करून आचरण करतात ते सर्व पापाचरणापासून दूर होऊन धार्मिक बनून निरंतर सुख भोगतात. ॥ ५ ॥